भगवान विश्वकर्मा पूजन एवं जन्मोत्सव के बारे में विवरण
भगवान विश्वकर्मा पूजन एवं जन्मोत्सव के बारे में विवरण
हमारा संगठन हर वर्ष भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा एवं जन्मोत्सव का भव्य आयोजन करता है, जिसमें पूरे क्षेत्र के जनमानस श्रद्धा और उत्साह से भाग लेते हैं। यह आयोजन हमारी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो विश्वकर्मा समाज की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य करता है।
✨ भगवान विश्वकर्मा पूजन (17 सितम्बर)
हर वर्ष 17 सितम्बर को भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा अत्यंत श्रद्धा और विधिपूर्वक की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को शिल्प, वास्तुकला, यांत्रिकी और निर्माण कला के देवता के रूप में पूजा जाता है।
इस दिन:
- पूजा स्थल को सुंदर ढंग से सजाया जाता है।
- मशीनों, औजारों, वाहन आदि की पूजा की जाती है।
- समाज के सभी वर्ग—श्रमिक, कारीगर, व्यापारी, अभियंता व विद्यार्थी—इस आयोजन में भाग लेते हैं।
- सामूहिक हवन, भंडारा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
🌼 भगवान विश्वकर्मा जन्मोत्सव (माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी)
माघ शुक्ल त्रयोदशी को भगवान विश्वकर्मा जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। यह दिन समाज के लिए अत्यंत पावन और गौरवपूर्ण होता है।
इस अवसर पर:
- भव्य शोभायात्रा, झांकियाँ और कीर्तन का आयोजन होता है।
- समाज के प्रबुद्ध जनों द्वारा भगवान विश्वकर्मा के जीवन, कार्य और योगदान पर आधारित व्याख्यान दिए जाते हैं।
- समाज के युवा वर्ग को एकजुट कर जागरूकता, सेवा भावना और संगठन की शक्ति को मजबूत किया जाता है।
- सामूहिक भोज, पुरस्कार वितरण, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित होती हैं।
हमारा संगठन इन आयोजनों के माध्यम से समाज में एकता, सहयोग और सांस्कृतिक गर्व की भावना को जागृत करता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज को संगठित करने और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का भी सशक्त माध्यम है।
– श्री विश्वकर्मा समाज