🔱 भगवान विश्वकर्मा - संपूर्ण जानकारी
1. परिचय
भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार, निर्माणकर्ता और इंजीनियर के रूप में जाना जाता है। उन्हें विश्व का प्रथम वास्तुकार, यंत्रकार और शिल्पी माना गया है। पुराणों में उनका उल्लेख महान सृजनकर्ता के रूप में किया गया है, जिन्होंने दिव्य वास्तु और रथों का निर्माण किया।
2. वंशावली और उत्पत्ति
भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं। कुछ पुराणों में वे स्वयं ब्रह्मा के रूप माने गए हैं, जो निर्माण कार्य के अधिष्ठाता हैं।
तस्य विज्ञानमयं रूपं जगतः कारणं परम्॥
3. पाँच पुत्रों का विवरण
- मनु: मानव जाति के प्रारंभकर्ता।
- मया: असुरों के शिल्पकार।
- त्वष्टा: देवताओं के अस्त्र-शस्त्र निर्माता।
- शिल्पी: सामान्य निर्माण कार्यों के विशेषज्ञ।
- दैवज्ञ: समय और ग्रहों की गणना करने वाले विद्वान।

4. प्रमुख निर्माण कार्य
- स्वर्ग लोक
- पुष्पक विमान
- द्वारिका नगरी
- इंद्रपुरी
- शिव जी का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र
- देवताओं के भवन, रथ और अस्त्र
5. पूजा विधि एवं आराधना
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष रूप से शिल्पकार, बढ़ई, इंजीनियर, लोहार, आर्टिस्ट, मशीन संचालक, टेक्निकल क्षेत्र से जुड़े लोग करते हैं। पूजा तिथि हर वर्ष 17 सितंबर को मनाई जाती है। इस दिन कार्यशालाओं, फैक्ट्रियों में पूजा कर उपकरणों की सफाई की जाती है।
6. इतिहास में उल्लेख
ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान विश्वकर्मा का उल्लेख मिलता है। उन्हें "देवों का वास्तुकार" कहा गया है। वेदों में उन्हें जगत का निर्माता कहा गया है।
तं त्वं विश्वकर्मन्ना नमस्यामः सदा॥
7. भारत में प्रमुख मंदिर
- विश्वकर्मा मंदिर - जोधपुर, राजस्थान
- विश्वकर्मा मंदिर - हसन, कर्नाटक
- विश्वकर्मा मंदिर - पटना, बिहार
- विश्वकर्मा मंदिर - विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश
- विश्वकर्मा मंदिर - दिल्ली, पंजाब बाग